एक सहयोगी ने ५ घंटे मेहनत करके अन्ना पर एक सुन्दर कविता लिखी।
उसने ये काम तब किया जब वो ड्यूटी पर था और जो सामग्री इस्तेमाल कि वो भी सरकारी ही थी।
तीन अवयस्क बच्चे अन्ना के समर्थन में नारे लगा रहे थे.
ये तीनो, एक बाइक, बड़ी स्पीड से, बिना हेलमेट के चला रहे थे और साथ ही करतब भी दिखा रहे थे।
एक संगठन के नेता भ्रष्ट राजनीती के विरोध में जलूस के लिए तैयार हुए।
लेकिन विरोधी संगठन के साथ राजनैतिक मतभेद का शिकार होकर वहीँ रह गए।
एक पडोसी की, अन्ना टोपी के साथ अख़बार में फोटो आई थी।
लिकिन फोटो खींचता देख वो टोपी उन्होंने एक अजनबी के सर से चुराई थी।
एक बड़े मंत्री भ्रस्टाचार को देश से हटाना चाहते हैं।
अपने पूर्व ईमानदार मंत्री को इन्होने ही हटवाया, ये सब जानते हैं।
एक अधिकारी अन्ना के विचारों की तारीफ के पुल बांध रहे हैं।
लेकिन बोलने में वो खुद दिग्विजय सिंह से भी बुरे हैं।
ऊपर लिखी पंक्तियों में यदि दूसरी लाइन भी पहली से मिलती-जुलती होती।
तो ये रचना यकीनन ज्यादा सुन्दर होती।