स्वागतम

मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती

Thursday, May 1, 2014

श्रमिक दिवस पर चिंतन-


  • हर वर्ष १ मई को गोष्ठी, वार्ता और फिर सब पूर्ववत. 
  • देश में अनेक वर्षों से श्रमिक कानून में श्रमिकों के हित में कोई  बदलाव नही. 
  • हर बदलाव के लिए श्रमिक आंदोलन की आवश्यकता. 
  • राष्ट्रीय चुनाव में कोई भी नेता या पार्टी श्रमिकों के प्रति संवेदनशील नही हालाँकि, धर्म व जाति  आधारित लाभ देने को अति उत्सहित. 
  • संसद में अनेक अपराधी तो हैं पर श्रमिक नही. 
  • यदि संस्थानों में प्रबंधन अपना कार्य ठीक से करें तो श्रम संगठनों की अवश्यकता क्यों हो? 
  • यदि प्रबंधन अपना कार्य ठीक से नहीं करता तो उसे वेतन क्यों, जबकि मजदूरों के लिये काम नहीं तो वेतन नहीं का नियम है?
  • सरकारी संस्थानों व प्रतिस्ठानों मे श्रमिकों के लिये अनुभव, योग्यता और प्रतिभा होने पर भी प्रगति के द्वार बंद क्यों?