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मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती

Saturday, April 30, 2016

श्रमिक दिवस पर

क्या आप जानते हैं कि:
1. आजादी के 69 वर्ष बाद भी देश में कुछ ऐसे संस्थान भी हैं जहां आज भी कर्मचारियों/श्रमिकों तथा अधिकरियों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार, भोजनालय, निवास और यहाँ तक कि घरों के आकार और सुविधाएं भी पद के अनुसार होती हैं।
2. श्रमिक अपने कैरियर में आगे न बढ़ पाएं इसलिए ऐसी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष नीतियां बनाई गई हैं कि चाहे वे कितना ही कठिन परिश्रम करें, शैक्षिक योग्यता बढ़ा लें या उत्कृष्ट प्रदर्शन कर लें, कभी उनके आरंभिक पद तक भी नहीं पहुँच सकते।
3. संस्थान द्वारा अधिकारियों के वेतन का 7% उनके पेंशन खाते में जमा किया जाता है जबकि, श्रमिक को 5% के लिए भी लड़ना पड़ता है। जबकि दोनों के वेतन में पहले ही बड़ा अंतर कर दिया जाता है और देखा जाय तो सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता श्रमिक को ही अधिक होती है।
4. अधिकारियों के पाल्यों को उच्च शिक्षा के होस्टल खर्च हेतु 2000 रूपए प्रतिमाह दिए जाते हैं, जबकि श्रमिक के पाल्य को 750 रूपए भी लड़ने के बाद मिलते हैं। अर्थात शिक्षा के अधिकार होने के बाद भी दोनों के बच्चों की शिक्षा में भेदभाव।
5. अधिकारियों का पदोन्नति काल भी 2 से 4 वर्ष है जिसके लिए कोई परीक्षा या साक्षात्कार नहीं होता, जबकि कर्मचारी का पदोन्नति काल 5 वर्ष से कम नहीं है, जिसे वास्तव में पदोन्नति कहना उचित नहीं होगा क्योंकि इससे उसके पद, स्तर या कार्य में कोई अंतर नहीं आता। इसके लिए भी उसे परीक्षा तथा साक्षात्कार देना होता है।
6. श्रमिकों को जापानी पद्वतियां जैसे कैजन, 6सिग्मा, क्वालिटी सर्किल आदि अपनाने के लिए जोर डाला जाता है, जबकि अधिकारी स्वयं जापानी प्रबंधन पद्वति अपनाने के बजाय अंग्रेजों की तरह दमनकारी नीतियां अपनाते हैं।
7. बिक्री कम होने पर श्रमिक को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि तो शून्य कर दी जाती है लेकिन अधिकारी को प्रोत्साहन राशि तब भी मिलती है।

इसके अलावा और भी कई प्रकार से श्रमिकों का शोषण किया जाता है वो भी सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि निजी संस्थानों में श्रमिकों का कितना शोषण होता होगा।

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