प्रतिक्रियाएं- हम जो देखते, सुनते, सोचते या बोलते हैं वो कई बार वास्तविकता से दूर होता है। हमारा समाज प्रतिक्रियात्मक (reactive) अधिक है और क्रियात्मक (active) या विश्लेषक (analytical) बहुत कम है। जिस कारण कई लोग, यहां तक कि पत्रकारिता से जुड़े पढ़े लिखे विद्वान लोग भी, कई बार बड़ी हास्यास्पद और तर्कहीन बातें करते हैं। कभी कारणों को समझे बिना प्रभावों के बारे में बहस करते हैं। कई अकर्मण्य और कृतघ्न लोग तो हमारे जवानों के त्याग और समर्पण का भी सम्मान करना नही जानते। जैसा आजकल उनके द्वारा हमारे जवानों की कार्रवाई पर दी गई प्रतिक्रियाओं से भी व्यक्त है। देश और उसकी सुरक्षा, अखंडता और एकता, सभी जाति, धर्म और राजनीति से ऊपर है, क्योंकि जब देश है तभी हम सबका अस्तित्व है।
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