स्वागतम
मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती
Saturday, March 21, 2020
Tuesday, March 17, 2020
कॅरोना से बचाव
कॅरोना बीमारी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा Pandemic घोषित किया गया है, जोकि Epidemic से ज्यादा गंभीर है। जानकारों के अनुसार भारत में भी आने वाला एक महीना इस बीमारी के बढ़ते स्तर की दृष्टि से गंभीर (critical) है। शासन व प्रशासन द्वारा अपने स्तर पर इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
स्वस्थ रहने व किसी भी बीमारी से बचने के लिए 2 बाते आवश्यक हैं-
1. स्वास्थ्य की दृष्टि से अपने खान-पान, रहन-सहन, दृष्टिकोण और आदतों में उचित सुधार कर हम अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढा सकते हैं।
2. स्वयं तथा अपने आसपास जीवाणुओं व विषाणुओं को फैलने से रोकने हेतु आवश्यक कदम उठा सकते हैं ताकि आसपास सुरक्षित व स्वस्थ (hygienic) वातावरण बना रहे।
अपने आसपास, पड़ोस, समाज व कार्य स्थल में हम जो कर सकते हैं उनमें से कुछ हैं-
-करेंसी नोटों को थूक लगाकर न गिनें, और इधर उधर न थूकें।
-हाथों को नियमित धोते रहें। सफाई का ध्यान रखें।
-कार्यस्थल या सार्वजनिक स्थानों के दरवाजों के हैंडल या सीढ़ियों की रेलिंग, टेलीफोन, ए.टी.एम., लिफ्ट के बटन इत्यादि जहां सभी हाथ लगाते हैं, इनको अनावश्यक न छुएं, तथा संभव हो तो इनकी नियमित सफाई हेतु कदम उठाएं।
-जहां तक संभव हो नकदीरहित cashless) भुगतान करें।
-जिनको खुला रख सकते हैं, उन दरवाजों को खुला रखें ताकि दरवाजों के हैंडल छूना न पड़े।
-अपने पास हमेशा टिशू पेपर व सैनिटाइजर रखें।
-सफाई व भोजनालय कर्मचारियों को भी मास्क व दस्ताने उपलब्ध हों तो बेहतर होगा।
-शौचालयों में साबुन, सैनिटाइजर, टिशू पेपर की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
- खांसते-छींकते समय कीटाणुओं को रोकने के लिए आस्तीन का उपयोग करें, ये ही सबसे आसान तरीका है।
-नाक, मुंह, आंख को गंदे हाथों से न छुएं।
-आपस में सुरक्षित दूरी बनाए रखें
-बाहरी सामान को छूते समय ध्यान रखें कि वह कीटाणुग्रस्त हो सकता है।
-स्वयं व अपने परिजनों को अनावश्यक बाहर जाने से रोकें।
-दोषारोपण के बजाय अपने आसपास के अनभिज्ञ लोगों को इससे बचने के उपाय बताएं व उनको जागरूक कर अच्छे नागरिक का परिचय दें।
-इस महामारी से बचने में शासन-प्रशासन को सहयोग दें।
स्वस्थ रहने व किसी भी बीमारी से बचने के लिए 2 बाते आवश्यक हैं-
1. स्वास्थ्य की दृष्टि से अपने खान-पान, रहन-सहन, दृष्टिकोण और आदतों में उचित सुधार कर हम अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढा सकते हैं।
2. स्वयं तथा अपने आसपास जीवाणुओं व विषाणुओं को फैलने से रोकने हेतु आवश्यक कदम उठा सकते हैं ताकि आसपास सुरक्षित व स्वस्थ (hygienic) वातावरण बना रहे।
अपने आसपास, पड़ोस, समाज व कार्य स्थल में हम जो कर सकते हैं उनमें से कुछ हैं-
-करेंसी नोटों को थूक लगाकर न गिनें, और इधर उधर न थूकें।
-हाथों को नियमित धोते रहें। सफाई का ध्यान रखें।
-कार्यस्थल या सार्वजनिक स्थानों के दरवाजों के हैंडल या सीढ़ियों की रेलिंग, टेलीफोन, ए.टी.एम., लिफ्ट के बटन इत्यादि जहां सभी हाथ लगाते हैं, इनको अनावश्यक न छुएं, तथा संभव हो तो इनकी नियमित सफाई हेतु कदम उठाएं।
-जहां तक संभव हो नकदीरहित cashless) भुगतान करें।
-जिनको खुला रख सकते हैं, उन दरवाजों को खुला रखें ताकि दरवाजों के हैंडल छूना न पड़े।
-अपने पास हमेशा टिशू पेपर व सैनिटाइजर रखें।
-सफाई व भोजनालय कर्मचारियों को भी मास्क व दस्ताने उपलब्ध हों तो बेहतर होगा।
-शौचालयों में साबुन, सैनिटाइजर, टिशू पेपर की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
- खांसते-छींकते समय कीटाणुओं को रोकने के लिए आस्तीन का उपयोग करें, ये ही सबसे आसान तरीका है।
-नाक, मुंह, आंख को गंदे हाथों से न छुएं।
-आपस में सुरक्षित दूरी बनाए रखें
-बाहरी सामान को छूते समय ध्यान रखें कि वह कीटाणुग्रस्त हो सकता है।
-स्वयं व अपने परिजनों को अनावश्यक बाहर जाने से रोकें।
-दोषारोपण के बजाय अपने आसपास के अनभिज्ञ लोगों को इससे बचने के उपाय बताएं व उनको जागरूक कर अच्छे नागरिक का परिचय दें।
-इस महामारी से बचने में शासन-प्रशासन को सहयोग दें।
Saturday, March 14, 2020
Monday, March 9, 2020
करोना वाइरस
तम्बाकू-गुटका खाकर यहां-वहां थूकने वाला, हेलमेट को बोझ समझने वाला, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाला वो भारतीय नागरिक जिसे स्वास्थ्य, सुरक्षा और अनुशासन का महत्व ही नहीं पता, उसे क्या करोना वाइरस कुछ सही रास्ते में ला पाएगा?
खुले में शौच, थूक लगाकर नोट गिनना, मुंह खोलकर सार्वजनिक स्थानों पर खाँसना, मिलावट और रसायनों से दूषित खाद्य सामग्री का सेवन करना आदि, अनेक आदतों में यदि एक आम आदमी सुधार कर ले, तथा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो जाय तो स्वास्थ्य तो होगा ही, देश में चिकित्सालयों का बोझ भी स्वतः ही कम हो सकता है।
खुले में शौच, थूक लगाकर नोट गिनना, मुंह खोलकर सार्वजनिक स्थानों पर खाँसना, मिलावट और रसायनों से दूषित खाद्य सामग्री का सेवन करना आदि, अनेक आदतों में यदि एक आम आदमी सुधार कर ले, तथा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो जाय तो स्वास्थ्य तो होगा ही, देश में चिकित्सालयों का बोझ भी स्वतः ही कम हो सकता है।
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