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मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती

Monday, January 17, 2011

मंथन

विचार मंथन का निष्कर्ष ही उसकी गहराई का आंकलन करा देता है
  • जब तक हम अच्छाइयों का सम्मान नहीं करेंगे, बुराइयों के बीच पिसते रहेंगे।
  • जिस दिन बेईमान जेल में और ईमानदार संसद में होंगे उसी दिन देश को महान कहा जा सकता है।
  • दिखाई देने वाले जीवों को दुखी करना और अदृश्य इश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास करना कहीं भी तर्क संगत नहीं लगता।
  • जो लोग अपनी ढाई इंच की जुबान पर काबू नहीं कर सकते, 5-6 फीट लम्बे आदमियों के समूह को काबू कर पाएंगे ऐसा नहीं लगता।
  • अपनी परेशानियों के बजाय दूसरों की खुशियों से परेशान होना इर्ष्या की चरम सीमा को दर्शाता है।

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