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मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती

Thursday, January 11, 2024

उत्तराखंड राज्य का उद्देश्य व वर्तमान स्थिति

उत्तराखण्ड प्रदेश की स्थापना से लेकर वर्तमान स्थिति तक का अध्ययन करने पर एक ही निष्कर्ष निकलता है कि, “उत्तराखण्ड की स्थानीय जनता की मूलभूत समस्याएँ, उनके समाधान और निराकरण केवल स्थानीय संगठित राजनीतिक दल ही कर सकता है।” 

इतने वर्षों में यहाँ भू-क़ानून, मूल निवास, रोज़गार, पलायन, वन्य जीवों का आतंक, गाँव में भूकंप-रोधी मकानों की आवश्यकता, भू-माफिया, खनन-माफिया, प्राकृतिक आपदाएँ, सरकारी संस्थानों में घोटाले, अकर्मण्यता व भ्रष्टाचार आदि अनेक समस्याओं के निराकरण होने के बजाय वृद्धि ही हुई है। 

सभी बड़े दलों ने शहरी व बाहरी लोगों के हितों की ख़ातिर स्थानीय लोगों के हितों की ही बलि दी है, क्योंकि उनका उद्देश्य सत्ता पाना अधिक और स्थानीय समस्याओं का समाधान कम ही रहा है। इसी कारण यहाँ छल-प्रपंचों की राजनीति हमेशा स्थानीय मुद्दों पर हावी रही है।

समय आ गया है कि, प्रदेश हित में, सभी स्थानीय दल निजी स्वार्थों, मतभेद व हठधर्मिता से ऊपर उठकर सक्षम नेतृत्व, दूरदृष्टि तथा स्थानीय प्रतिभावान युवाओं को साथ लेकर एकजुट हों, तथा भविष्य के लिए ठोस योजना बनाकर जनता के समक्ष एक मज़बूत राजनीतिक विकल्प बनकर प्रस्तुत हों।

Wednesday, August 23, 2023

चन्द्रयान - ३

 अभियान सफल 

सभी देशवासियों को बधाई व शुभकामनाएँ


जय हिन्द…

Sunday, August 13, 2023

पर्वतों की विशालता

पर्वतों की शरण में आने का पहला नियम है; अपने अहंकार का त्याग, क्योंकि इनपर झुककर चढ़ना पड़ता है, और सर झुकाकर उतरना पड़ता है। जो पर्वतों के नियम का पालन नहीं करते उनको ये मिट्टी में मिला देते हैं।

और जो इनके नियमों का सम्मान करते हैं उनको ये अपनी तरह शारीरिक शक्ति, मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊँचाई देते हैं।

चित्र: गढ़वाल, उत्तराखण्ड.

Tuesday, June 6, 2023

मुहब्बत की दुकान

सुना था मुहब्बत बिकती नहीं बाजारों में,
चंद सौदागरों ने इसकी भी दुकानें खोल दी।


Wednesday, January 11, 2023

जोशीमठ त्रासदी

आवश्यकता है, पूरे उत्तराखण्ड को उसकी भौगोलिक, धार्मिक, पर्यावरणीय, आर्थिक, सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, और रोज़गार आधारित मास्टर प्लान से विकसित करने की।

#joshimath #joshimathsinking



Friday, September 30, 2022

उत्तराखंड और अपराध

 उत्तराखंड में पिछले दिनों चर्चा में आए पेपर लीक घोटाला, भर्ती घोटाला, अवैध खनन से पुल क्षति, और अंकिता हत्याकांड से कुछ तथ्य निकलकर आए हैं:

१. पद, पैसा और पहुँच आज भी मेहनत, ग़रीबी और ईमानदारी पर भारी है।

२. नुक़सान होने के बाद ही राज खुलने या जन आक्रोश पश्चात पत्रकार, सामाजिक संगठन और राजनैतिक पार्टियाँ सक्रिय होती हैं। घटना होने से पहले ये सभी विभिन्न कारणों से चुप रहते हैं।

३. राजनैतिक पार्टियाँ, उनके समर्थक पत्रकार, चैनल और लोग, अपना वोट बैंक (जाति,धर्म) या अपने स्वार्थ के अनुसार (calculated) ही ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हैं।

४. अधिकतर, दोषारोपण और अनावश्यक बहस पर ही सबका ध्यान रहता है, भविष्य में इस प्रकार की घटना दुबारा न हो, इसकी रोकथाम व सावधानियों पर कार्रवाई कम ही होती है।

इन घटनाओं की रोकथाम के लिए पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया, अवैध खनन जैसे भ्रष्टाचार की सूचना देने और उसपर करवाई के लिए उचित व्यवस्था तथा महिला सुरक्षा के लिए आसान व सुलभ पुलिस एवं सूचना तंत्र (including awareness program) के गठन की आवश्यकता है।