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मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती

Sunday, July 26, 2015




कामचोर

कार्यालयों में कामचोरों के विभिन्न प्रकार

पहले प्रकार के लोग कुछ साहित्यिक प्रकृति के होते हैं और लेखन में रुचि होने के कारण पूरे दिन सरकारी कंप्यूटर और लेखन सामाग्री आदि मे अपनी रचनात्मकता की अभिव्यक्ति करते हैं। यद्यपि यदि कंप्यूटर का प्लग यदि ठीक न लगा हो तो अपने कामन सेंस की कमी के कारण ये कंप्यूटर खराब होने का ढिंढोरा पीटते नजर आते हैं। ये भी बहस करने में पारंगत होते हैं। ये जातिवात, भ्रस्टाचार आदि विषयों पर धारा प्रवाह बोल सकते हैं और अपने तर्क-कुतर्क से सबको चुप रहने पर मजबूर कर देते हैं। ऑफिस का कार्य हो या न हो लेकिन इनकी रचनाएँ ग्रंथ के रूप में धीरे-धीरे ऑफिस से इनके घर तक पहुँचती रहती हैं।

दूसरे प्रकार के लोग किसी बाहरी संस्था के सदस्य होते हैं जैसे एनजीओ, जीवन बीमा या मल्टी लेवल मार्केटिंग आदि। ये भी पूरे दिन सरकारी कार्य में टालमटोल कर अपनी संस्था के लिए समर्पण के साथ कार्य करते हैं वो बात अलग है की उसके लिए ये सरकारी समय, सरकारी मशीनरी का ही प्रयोग करते हैं।

तीसरे जिन पर परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ अधिक होता है, अपने घर के फोन का खर्च बचाने के लिए घर से पूरी फोन लिस्ट लेकर चलते हैं। फिर कभी बच्चों के रिश्ते की बात हो या फिर बेटे की नौकरी की सरकारी फोन की ही शामत आती है। इस प्रकार की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए सरकारी टूर या ओवरटाइम आदि के लिए भी अपने बॉस से सेटिंग भी करनी पड़ती है, बदले में बॉस के भी कुछ व्यक्तिगत कार्य जैसे गैस भरवाना या उनके बच्चों की फीस जमा करने जाना आदि भी तो करने पड़ते हैं।

चौथे तो घर से समाचार पत्र लेकरआते हैं और उपस्थिती लगाने के बाद तुरंत समाचार पत्र खोलकर पढ़ने लगते हैं। लगता है जैसे घर में समाचार पत्र पढ़ने का समय ही न मिलता हो, या फिर दिखाना चाहते हों की वो देश दुनिया के लिए कितने चिंतित हैं। ये भी हो सकता है की अङ्ग्रेज़ी समाचार पत्र से लोगों को को अपनी अंग्रेज़ियत दिखाना चाहते हों या फिर खुद की अङ्ग्रेज़ी सुधारना चाहते हों। समाचार पत्र को घोट कर पढ़ने के बाद उसके समाचारों के बारे में सहयोगियों से चर्चा करके अपना सामान्य ज्ञान लोगों को दिखाने के लिए, कार्य कर रहे सहयोगियों के कार्य में व्यवधान डालते हैं। इस प्रकार वे स्वयं को औरों से बेहतर मानकर चलते हैं।

पांचवें प्रकार के लोग अपने घर का कार्य जैसे बच्चों और पत्नी के प्रोजेक्ट आदि कार्य जो कंप्यूटर या इन्टरनेट से होते हैं, ऑफिस लेकर आते हैं। और इसके बाद शुरू होता है सरकारी कंप्यूटर, कागज, टेलीफोन और समय का दुरपयोग। यदि इनको कोई ऑफिस का कार्य मिले तो इनका उत्तर होता है- मुझे नही आता, या, ये तो पहले से ही कोई और करता आ रहा है। इसके बाद या तो ये किसी अन्य व्यक्तिगत कार्य मे लिप्त हो जाते हैं, या फिर किसी कंप्यूटर गेम में।

अधिकतर कामचोर लोग चर्चा तो देश-विदेश के बड़े-बड़े विषयों पर करते हैं लेकिंग अपने छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी दूसरों पर निर्भर रहते हैं, जैसे अपना आयकर रिटर्न भरना आदि, क्योंकि बहस के अलावा उनको बहुत कुछ करना ही नहीं आता। यदि इनके निकट सहयोगी इनकी बहस से बचना चाहें तो ये दूर के सहयोगियों का समय बर्बाद करने वहीं पहुँच जाते हैं या फिर अपने जैसे ही लोगों की संगत ढूंढ लेते हैं। लगता है वे कार्यालय में मात्र इसी बात का वेतन लेते हैं। हाँ कभी-कभी मूड हो तो 5-10 मिनट दिखने के लिए कुछ काम कर लेते हैं। और वे संस्थान के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं ये उनके अलावा कोई नही जानता इसलिए बार-बार उनके द्वारा ही लोगों को बताया जाता है।

कई कामचोर तो किसी प्रभावशाली व्यक्ति को अपना ढाल बना कर इस्तेमाल करते हैं। और वे भी इनको इस्तेमाल करते हैं। इस तरह का ये गठबंधन सिवाय इन दोनों व्यक्तियों के, संस्थान, समाज और देश के लिए अत्यंत नुकसानदायक होता है।

इन सभी कामचोरों में वो बातें जो बहुधा सभी में पाई जाती है वो हैं; अनावश्यक बहस करना, दूसरों को गलत साबित करना (अधिकतर कर्मशील या प्रतिभावन लोगों को), सरकारी साधनों का दुर्पयोग करना। यद्यपि उनको वेतन इतना मिलता है कि इन सभी साधनों को वे अपने पैसे से भी खरीद सकते हैं, लेकिन जनाब सरकारी संपत्ति का दुरपयोग करने मे मजा ही कुछ और है।