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मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती

Thursday, April 7, 2011

आजकल

२१ मई, आतंकवाद विरोध दिवस-
कट्टरवाद जब व्यक्ति तक सीमित रहता है तो ब्यक्ति को नुकसान पंहुचाता है, लेकिन जब व्यक्ति से समूह तक फ़ैल जाता है तो पूरे समाज को नुकसान पंहुचाता है और आतंकवाद को जन्म देता है। इस प्रकार से पनपने वाले आतंकवाद के कई और रूप भी देखे जा सकते हैं. उदहारण के लिए कट्टरवाद जब किसी संस्थान के अन्दर होता है तो संस्थान की कार्य क्षमता को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नुकसान पंहुचा सकता है. लेकिन कई बार इसे अनुशाशन का नाम भी दे दिया जाता है.

पसीने की कीमतों में फर्क-
देश के खिलाडी और अभिनेता पसीना बहाते हैं, करोड़ों रूपये कमाते हैं और फिर बड़ी-बड़ी गाडिओं में घूमते हैं। लेकिन जिन सड़कों पर उनकी आरामदायक बेशकीमती कारें चलती हैं वो भी किसी मजदूर की कड़ी मेहनत के पसीने से सिंची होती हैं, जिनको बदले में मिलती हैं केवल दो वक़्त की रोटी। आखिर पसीने की कीमतों में इतना फर्क क्यों?


नेता और राजनीतिज्ञ-
आज देश में नेतृत्व की कमी और राजनीती की अधिकता है जोकि देश के चहुमुखी विकास में सबसे बड़ी बाधक है। जहाँ नेता, देश व समाज के हितों को ध्यान में रखकर अच्छाइयों के रस्ते पर ले जाता है, राजनीतिज्ञ स्वयं के हितों को ध्यान में रखकर गलत को सही और सही को गलत साबित करने की कोशिश में लगा रहता है। राजनीती केवल संसद या विधान सभाओं में ही नहीं है बल्कि पंचायतों, सरकारी कार्यालयों, संस्थानों व सार्वजनिक प्रतिष्ठानों आदि में भी है। इस राजनीती का कारण केवल भौतिक लाभ हो ऐसा नहीं लगता बल्कि कई जगह व्यक्ति विशेष के अहम्, सत्ता की भूख, दूसरों को हीनता का अहसास कराना जैसे अभौतिक कारण भी दिखाई देते हैं। ऐसा लगता है जैसे अंग्रेज चले गए लेकिन अंग्रेजियत छोड़ गए। अब सवाल ये उठता है की इन काले अंग्रेजों से हमें कौन बचाएगा? क्या हर संस्थान में अन्ना हजारे जैसे लोगों की आवश्यकता है?

कौन तय करेगा-

देश में परमाणु सयंत्र कहाँ और कैसे लगना चाहिए क्या ये मछुआरे और राजनीतिक दलों को तय करना चाहिए या फिर सम्बंधित विषयों के विशेषज्ञों को?

भारत में सबसे सस्ता भोजन-
चाय-१.००, सूप-५.५०, दाल-१.५०, थाली-२.००, चपाती-१.००, चिकन-२४.५०, डोसा-४.००, बिरयानी-८.००, मछली-१३.००
ये सब उन गरीबों के लिए उपलब्ध है जिनका वेतन ८०,००० रुपये प्रतिमाह (बिना इनकम टैक्स तथा अन्य सुविधाएँ अतिरिक्त) है। वे गरीब जनता के प्रतिनिधि हैं और पार्लियामेंट में अक्सर सोते, लड़ते या एक दूसरे पर कीचड़ उछालते पाए जाते हैं या फिर संसद का बहिष्कार कर बाहर देश को गुमराह कर रहे होते हैं।
ये दाम उनकी कैंटीन के हैं।

आप
सच्चे भारतीय हैं यदि आप-
  • देश हित को धर्म, जाति तथा व्यग्तिगत स्वार्थों से ऊपर रखते हैं।
  • देश को भ्रस्टाचार से मुक्त करना चाहते हैं।
  • प्रत्येक भारतीय को सामान दृष्टि से देखते हैं चाहे वो किसी भी धर्म, जाति, लिंग, पद या आय समूह का हो।
  • किसी कमजोर पर अत्याचार सहन न कर सकते हों।
  • आत्मसम्मान के साथ जीना चाहते हैं।
  • अन्याय के विरोध में आवाज उठाना चाहते हैं।
  • अपना काम ईमानदारी से करते हैं।

नव संवत्सर की पहली उपलब्धि
भ्रस्टाचार पर जनता की विजयआशा है अन्ना की अंधी भ्रस्टाचार की गहरी जड़ें भी उखाड़ फेंकेगी जिसमे संसद, विधान सभाएं, सरकारी कार्यालय, सरकारी, निजी सार्वजनिक संस्थान भी शामिल होंगे केवल भ्रस्टाचार बल्कि गरीब, कमजोर मजदूर के ऊपर अमीर, ताकतवर अधिकारी का अन्याय भी समाप्त होगाजय भारत

भ्रस्टाचार
भ्रस्टाचार ने फोन और खेलों को भी नहीं छोड़ा,
मिलावटखोरों ने कुट्टू के आटे को भी नहीं छोड़ा।
आतंकियों ने धरती के स्वर्ग को बनाया नर्क,
पडोसी दुश्मनों ने नकली नोटों से किया बेडा गर्क।
लूट खसोट का सरेआम चल रहा ब्यापार,
आबादी ने किया १२१ करोड़ का आंकड़ा पार।
अन्ना हजारे शायद इनसे मुक्ति दिला पाएंगे,
अगर हम सभी हजारों अन्ना बनकर उनका साथ निभाएंगे।