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मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती

Friday, September 30, 2022

उत्तराखंड और अपराध

 उत्तराखंड में पिछले दिनों चर्चा में आए पेपर लीक घोटाला, भर्ती घोटाला, अवैध खनन से पुल क्षति, और अंकिता हत्याकांड से कुछ तथ्य निकलकर आए हैं:

१. पद, पैसा और पहुँच आज भी मेहनत, ग़रीबी और ईमानदारी पर भारी है।

२. नुक़सान होने के बाद ही राज खुलने या जन आक्रोश पश्चात पत्रकार, सामाजिक संगठन और राजनैतिक पार्टियाँ सक्रिय होती हैं। घटना होने से पहले ये सभी विभिन्न कारणों से चुप रहते हैं।

३. राजनैतिक पार्टियाँ, उनके समर्थक पत्रकार, चैनल और लोग, अपना वोट बैंक (जाति,धर्म) या अपने स्वार्थ के अनुसार (calculated) ही ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हैं।

४. अधिकतर, दोषारोपण और अनावश्यक बहस पर ही सबका ध्यान रहता है, भविष्य में इस प्रकार की घटना दुबारा न हो, इसकी रोकथाम व सावधानियों पर कार्रवाई कम ही होती है।

इन घटनाओं की रोकथाम के लिए पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया, अवैध खनन जैसे भ्रष्टाचार की सूचना देने और उसपर करवाई के लिए उचित व्यवस्था तथा महिला सुरक्षा के लिए आसान व सुलभ पुलिस एवं सूचना तंत्र (including awareness program) के गठन की आवश्यकता है।