राजनीति के गुरु मन्त्र - (1) यदि अपने पास कोई खूबी न हो तो दूसरों कि बुराइयों का बखान करते रहो.
(२) सही या गलत पहले तय कर लो और फिर उसको साबित करने में जी जान लगा दो.
स्वागतम
मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती
Thursday, February 16, 2012
Thursday, September 1, 2011
अच्छी बात- बुरी बात
एक सहयोगी ने ५ घंटे मेहनत करके अन्ना पर एक सुन्दर कविता लिखी।
उसने ये काम तब किया जब वो ड्यूटी पर था और जो सामग्री इस्तेमाल कि वो भी सरकारी ही थी।
तीन अवयस्क बच्चे अन्ना के समर्थन में नारे लगा रहे थे.
ये तीनो, एक बाइक, बड़ी स्पीड से, बिना हेलमेट के चला रहे थे और साथ ही करतब भी दिखा रहे थे।
एक संगठन के नेता भ्रष्ट राजनीती के विरोध में जलूस के लिए तैयार हुए।
लेकिन विरोधी संगठन के साथ राजनैतिक मतभेद का शिकार होकर वहीँ रह गए।
एक पडोसी की, अन्ना टोपी के साथ अख़बार में फोटो आई थी।
लिकिन फोटो खींचता देख वो टोपी उन्होंने एक अजनबी के सर से चुराई थी।
एक बड़े मंत्री भ्रस्टाचार को देश से हटाना चाहते हैं।
अपने पूर्व ईमानदार मंत्री को इन्होने ही हटवाया, ये सब जानते हैं।
एक अधिकारी अन्ना के विचारों की तारीफ के पुल बांध रहे हैं।
लेकिन बोलने में वो खुद दिग्विजय सिंह से भी बुरे हैं।
ऊपर लिखी पंक्तियों में यदि दूसरी लाइन भी पहली से मिलती-जुलती होती।
तो ये रचना यकीनन ज्यादा सुन्दर होती।
उसने ये काम तब किया जब वो ड्यूटी पर था और जो सामग्री इस्तेमाल कि वो भी सरकारी ही थी।
तीन अवयस्क बच्चे अन्ना के समर्थन में नारे लगा रहे थे.
ये तीनो, एक बाइक, बड़ी स्पीड से, बिना हेलमेट के चला रहे थे और साथ ही करतब भी दिखा रहे थे।
एक संगठन के नेता भ्रष्ट राजनीती के विरोध में जलूस के लिए तैयार हुए।
लेकिन विरोधी संगठन के साथ राजनैतिक मतभेद का शिकार होकर वहीँ रह गए।
एक पडोसी की, अन्ना टोपी के साथ अख़बार में फोटो आई थी।
लिकिन फोटो खींचता देख वो टोपी उन्होंने एक अजनबी के सर से चुराई थी।
एक बड़े मंत्री भ्रस्टाचार को देश से हटाना चाहते हैं।
अपने पूर्व ईमानदार मंत्री को इन्होने ही हटवाया, ये सब जानते हैं।
एक अधिकारी अन्ना के विचारों की तारीफ के पुल बांध रहे हैं।
लेकिन बोलने में वो खुद दिग्विजय सिंह से भी बुरे हैं।
ऊपर लिखी पंक्तियों में यदि दूसरी लाइन भी पहली से मिलती-जुलती होती।
तो ये रचना यकीनन ज्यादा सुन्दर होती।
Saturday, August 20, 2011
Friday, August 19, 2011
कल और आज
आज और कल- आज कि स्थिति को देखते हुए कहना होगा कि सरकार धन्यवाद की पात्र है क्योंकि उसके कारण ही देशवासी, भ्रस्टाचार को नफरत की दृष्टी से देखने लगे और इसके विरोध में एकजुट तो हुए. ऋणात्मकता जितनी अधिक होगी उसके विपरीत धनात्मकता भी उतनी ही अधिक होगी. वरना, अभी तक तो ऐसी स्थिति थी की रिश्ते की बात होने पर लड़की वाले लड़के वालों से पूछते थे कि ऊपर की कमाई भी है की नहीं.
Sunday, August 14, 2011
स्वतंत्रता दिवस कि शुभकामनायें
हमें आज़ादी चाहिए - भ्रस्टाचार, आतंकवाद, काले धन, बेईमानी, सस्ती व स्वार्थी राजनीती, बढती आबादी, बेरोज़गारी, गरीबी, मंहगाई, पद व सत्ता के दुरपयोग, मिलावटखोरी, प्रदूषण आदि से।
और इन सब के लिए कोई बाहर से नहीं आयेगा, प्रत्येक भारत वासी को अपने स्तर पर इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा। तभी हम आने वाली पीढ़ियों को अपने सपनों का भारत दे पाएंगे।
जय हिंद। जय भारत।
और इन सब के लिए कोई बाहर से नहीं आयेगा, प्रत्येक भारत वासी को अपने स्तर पर इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा। तभी हम आने वाली पीढ़ियों को अपने सपनों का भारत दे पाएंगे।
जय हिंद। जय भारत।
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