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मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती

Tuesday, February 1, 2022

मताधिकार से वंचित मतदाताओं का एक अभिजात्य वर्ग

देश में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग, जिसमें विभिन्न कारणों से चुनाव के दिन गृह नगर से बाहर रहने वाले नागरिक हैं, मतदान में भाग लेने से वंचित रह जाते हैं। इसमें अधिकतर घर से बाहर के नगरों में कार्यरत अथवा व्यक्तिगत या कार्यालयी कारणों से कुछ दिनों के लिए बाहर गए कर्मचारी, या लम्बी लाइन में लगने से बचने वाले मतदाता आदि शामिल हैं। अधिकतर चुनावी ड्यूटी में लगे सरकारी कर्मचारी भी अपने मताधिकार का उपयोग नहीं कर पाते।

यदि वोटर कार्ड को आधार से लिंक कर दिया जाय, और एक वोटिंग पोर्टल के माध्यम से मतदाता को आधार से जाँच (आधार से जुड़े मोबाइल पर ओ.टी.पी. से या बायोमेट्रिक डिवाइस द्वारा) करने के पश्चात उसके गृह नगर के चुनाव में मतदान (प्रत्याशियों की सूची के साथ) का अधिकार दे दिया जाय तो इस समस्या से काफ़ी हद तक छुटकारा मिल सकता है। 

इस व्यवस्था से कोई भी मतदाता चाहे वो किसी दुर्गम स्थान पर ही क्यों न हो, अपने मोबाइल या कम्प्यूटर से घर बैठे मतदान कर सकता है। इस प्रणाली को आवश्यकतानुसार वोटिंग मशीन का विकल्प भी बनाया जा सकता है, और इससे मतदान का प्रतिशत 90% से भी अधिक बढ़ाया जा सकता है।

Tuesday, November 23, 2021

Extraordinary

 

One machine can do the work of fifty ordinary men.
No machine can do the work of one extraordinary man.

 

Monday, August 16, 2021

अस्तित्व की लड़ाई

 देश की ग़ुलामी, विभाजन, बेगुनाहों पर अमानवीय अत्याचार, महासंघर्ष के बाद स्वतंत्रता, और अफगानिस्तान की वर्तमान परिस्थितियाँ, ये बताती हैं कि ज्ञान के साथ शक्तिशाली भी होना किसी देश के लिए कितना आवश्यक है। 

और देश उतना ही शक्तिशाली होता है जितना उसका नेतृत्व।

Thursday, August 12, 2021

जातिवाद की राजनीति आज भी अन्य सभी मुद्दों पर भारी

राजनैतिक दलों में भले ही बाकी मुद्दों पर संसद में हँगामा होता हो, लेकिन जातिवाद संबंधी बिल बिना किसी हंगामे के सबकी सहमति से पास हो जाते हैं। 

देश में ग़रीबी ज़्यादा है लेकिन सभी पार्टियों का ध्यान जाति और धर्म पर ही रहता है, क्योंकि गरीब परिवर्तनीय श्रेणी है, इसलिए वोट बैंक नहीं बन सकती, लेकिन जाति अपरिवर्तनीय है इसलिए वोट बैंक की श्रेणी है, थी, और रहेगी चाहे उसका कितना ही विकास हो ज़ाय।  

Friday, July 16, 2021

मुफ्त के राजनेता

 मुफ्त की राजनीति करने वालों, क्या मुफ़्त बिजली देने से-

१. उत्तराखंड की जनता, दिल्ली में हुई उत्तराखंडी युवक की बर्बर हत्या को भुला देगी 

२. उत्तराखंड में पलायन रुक जाएगा 

३. युवाओं को रोज़गार मिलेगा

४. खनन माफिया, भूमाफिया, शराब माफिया या लवजिहाद आदि से मुक्ति मिलेगी 

५. खेती को बंदरों से और ग्रामीणों को नरभक्षी जानवरों से निजात मिल जाएगी 

६. प्राकृतिक आपदाओं से छुटकारा मिलेगा

७. बढ़ते अपराध और असामाजिक तत्वों पर नियंत्रण हो जाएगा 

८. भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा 

९. जातिवाद, साम्प्रदायिकता, क्षेत्रवाद, भाई-भतीजावाद दूर होगा 

१०. प्रदेश में बढ़ता प्लास्टिक कचरा समाप्त हो जाएगा 

११. वृक्ष, हरियाली, सफ़ाई और प्राकृतिक सुंदरता में वृद्धि होगी

१२. प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और परिवहन साधनों की गुणवत्ता में वृद्धि होगी

१३. वर्षाजल का उचित निस्तारण और सौर/पवन ऊर्जा का समुचित उपयोग होगा 

१४. सरकारी कार्यालयों की दक्षता व क्षमता बढ जाएगी 

१५. आम नागरिक के लिए सुविधाएँ और उनके जीवन स्तर में वृद्धि होगी 

१६. भूमि, जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण समाप्त हो जाएगा

१७. यहाँ के ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क व पुल बन जाएँगे और चकबंदी हो जाएगी 

१८. ग्रीष्म ऋतु वनाग्नि मुक्त हो जाएगी

१९. प्रदेश, पर्यटन के लिए विकसित हो जाएगा 

२०. प्रदेश का औद्योगिक विकास हो जाएगा 

२१. यहाँ के मूल निवासियों के हित में भू क़ानून लागू हो जाएगा 

२२. पृथक राज्य की माँग करने वाले आंदोलनकारियों पर किए गए अमानवीय अत्याचार के दोषी अधिकारियों और नेताओं को सजा मिल जाएगी

देश के प्रबुद्ध राजनीतिज्ञों तुम कब समझोगे की सरदर्द होने पर बाम पैर में नहीं लगाई जाती