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मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है - हेम चन्द्र कुकरेती

Sunday, March 1, 2015

ब्वाड़ाजी बताते हैं कुछ उपयोगी व आवश्यक बातें


useful tips
 सुरक्षा सप्ताह (04 मार्च से 10 मार्च) के अवसर पर
  • स्वस्थ जीवन शैली व सकारात्मक मानसिकता को अपनाकर ही स्वास्थ्य पाया जा सकता है, और स्वस्थ रहकर ही जीवन का आनंद उठाया जा सकता है। शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य, ये तीनों सफल जीवन के मूलमंत्र हैं। सकारात्मक सोचें, बोलें व करें। भोजन सेहत के लिए खाएं स्वाद के लिए नही।
  • प्लास्टिक व पोलिथीनी का निषेध करें ये जलाने पर जहरीली गैस छोड़ते हैं और भूमि व जल को भी जहरीला बनाते हैं।
  • जहरीले रसायनों (कीटाणुनाशक, दवाइयाँ आदि) से युक्त फल, सब्जियों, दूध, पानी आदि से दूर रहें।
  • घर के मुखिया का स्वास्थ्य, बातचीत व व्यवहार कई मायनों में पूरे परिवार के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो परिवार अपना मुखिया खो चुके हैं वे ही इस त्रासदी को समझ सकते हैं।
  • परिवार के मुखिया (आय के साधन) का बीमा आवश्य कराना चाहिए ताकि संभावित बुरे समय मे आश्रितों को जीवनयापन में परेशानी न हो।
  • अपने सभी खातों (बैंक, बीमा, भविष्यनिधि आदि) मे नामिती आवश्य भरना चाहिए ताकि संभावित बुरे समय मे परिजनों को अनावश्यक परेशानी न हो।
  • वाहन चलाते और पार्क करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि दूसरों को आने-जाने, अपने वाहन खड़े करने या उसका द्वार खोलने में परेशानी न हो। व्यवस्थित ढंग से कम जगह पर भी अधिक वाहन खड़े किए जा सकते हैं। यातायात नियमों का पालन करना चाहिए, नियम हमारी ही सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं।
  • यदि वाहन के साथ कोई चौराहे से दायें मुड़ना हो तो भी सड़क के बाएँ रहकर मुड़ें ताकि दूसरी ओर से आने वाले वाहनों को भी सुरक्षित जगह मिल सके, और वो आपसे न टकराएँ।
  • वाहन पर पीछे देखने वाले दर्पण (रियर व्यू मिरर), लाइट, ब्रेक, हॉर्न आदि सही हालत में होने चाहिए ये अनेक दुर्घटनाओं को रोक सकते हैं। सड़क पर एयरफोन लगाए रहना भी खतरनाक साबित हो सकता है।
  • वाहन चलाते समय सड़कों पर अनावश्यक हॉर्न बजाकर ध्वनि प्रदूषण नही करना चाहिए, शालीनता व धैर्य से ही समस्याएँ सुलझाई जा सकती हैं।
  • सड़कों का इस्तेमाल, मलबा या भवन निर्माण सामग्री के भंडारण के लिए नही करना चाहिए, वे आवागमन के लिए बनाई गई हैं।
  • कुछ लोग घर की गंदगी और पानी खुले मे छोड़ देते हैं, इससे मक्खी, मच्छर और अनेक बीमारियों का आगमन होता है। इसके लिए घर के आस-पास ढका हुआ सोक पिट बनाना चाहिए, इसके अलावा बाग-बगीचे मे भी इस बहते पानी का सदुपयोग किया जा सकता है।
  • बहुमंजिला भवनों के आसपास वाहन ऐसे खड़े करना चाहिए कि आपातकाल मे व्यक्तियों को आने-जाने मे असुविधा न हो।
  • दुपहिया वाहन चलाते समय सुरक्षा हेलमेट तथा चौपहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट बांधना चाहिए, ये तीव्र गति में सुरक्षाप्रद हैं। वाहन चलाते समय कोई ऐसा कार्य नही करना चाहिए जिससे दुर्घटना हो सकती है जैसे; फोन करना, संगीत उपकरण पर ध्यान देना आदि।
  • फोन करने पर, दूसरी ओर फोन उठाने वाले का नाम पूछने से पहले अपना परिचय देना सभ्यता का परिचायक है। फोन पर वार्तालाप संक्षिप्त रखना चाहिए, हो सकता है इससे स्वयं का या किसी और का आवश्यक कार्य रुक रहा हो।
  • यदि पढ़ सकते हैं तो लिखित सूचनाओं को पढ़कर ही किसी सूचना/जानकारी आदि की पुष्टि करनी चाहिए।
  • जिस कार्य को स्वयं किया जा सकता है, उसके लिए किसी व्यस्त व्यक्ति पर आश्रित होना उचित नहीं। स्वावलंबी होना परिपक्वता की निशानी है।
  • हमारी छोटी सी मदद किसी के लिए बहुत बड़ी सहायता बन सकती है, इससे सम्मान ही मिलता है, इसलिए ऐसा कोई मौका चूकना नही चाहिए।
  • कार्यालय में यदि आप स्वयं किसी शारीरिक कार्य को करने की स्थिति मे हैं, तो उसके लिए निम्न वर्ग के कर्मचारी पर आश्रित न होकर स्वयं कर लेना चाहिए, इससे स्वास्थ्य व सम्मान दोनों मिलते हैं।
  • यदि हम किसी व्यक्ति का कार्य, विनम्र निवेदन पर करना पसंद करते हैं; धमकी से नहीं, तो दूसरे भी ऐसा ही पसंद करते हैं।
  • जिस तरह हमारा कार्य आवश्यक है, हो सकता है दूसरे का और अधिक आवश्यक हो।
  • किसी व्यक्ति से कोई सूचना लेने या कोई कार्य करवाने से पहले सुनिश्चित करना उचित होगा कि वह व्यक्ति उस कार्य के लिए प्राधिकृत, सक्षम व उचित है, अन्यथा इससे दोनों का बहुमूल्य समय नष्ट होगा।
  • किसी व्यक्ति के बारे मे कोई धारणा बनाने से पहले उसकी मजबूरी तथा पृष्ठभूमि जानना उचित होगा, शायद हम उसकी जगह होते तो हम भी वैसे ही होते। किसी व्यक्ति की प्रकृति व व्यवहार मे उसके पैतृक गुण, उस पर घटित घटनाओं, पारिवारिक व सामाजिक पृष्ठभूमि आदि का अधिक योगदान होता है, उसके स्वयं का बहुत कम।
  • बहस मे जीतने का प्रयास करने वाले लोग अधिकतर अपने बहुमूल्य मित्रों को खो देते हैं। ध्यान देने योग्य बात है कि चर्चा (discussion) व बहस (argument) मे बहुत बड़ा अंतर है।
  • जो व्यक्ति गुटका, तंबाकू आदि खाकर यहाँ-वहाँ थूकते रहते हैं, वो स्वयं का भला बुरा नहीं समझ सकते तो देश व समाज का भला बुरा शायद ही समझते होंगे, यह धारणा उनको देखते ही बनती है।
  • हर उस व्यक्ति का सम्मान करें जो मेहनत, लगन और ईमानदारी से अपना कार्य करते हैं, चाहे वो रिक्शा चालक ही हो। वे सम्मानजनक हैं, क्योंकि उन्होने बुरे और आसान रास्ते के बजाय, अच्छे और कठिन रास्ते को चुना है।
  • कई योग्य व्यक्ति अनुकूल परिस्थितियों व अवसरों के अभाव मे पिछड़ जाते हैं, उनको प्रोत्साहित व आगे बढ्ने मे मदद करें, शायद वे जीवन भर आपका उपकार न भूलें। इस उपकार के अपार आनंद को बाद मे ही महसूस किया जा सकता हैं।
  • भावनाएँ मनुष्य की स्वाभाविक प्रकृति हैं, लेकिन इससे दूसरों की भावनाओं को आहत करना ठीक नहीं।
  • लोग उनकी मदद करते हैं जो दूसरों की मदद करते हैं। इसलिए किसी से मदद की अपेक्षा तभी करनी चाहिए, जब हम भी औरों की मदद करते हों।
  • जिन व्यक्तियों की, जरूरत मे मदद नहीं कर सकते उनके व्यक्तिगत जीवन मे अनावश्यक दखल देना उचित नहीं है।
  • खाली समय में कुछ नया सीखना चाहिए जैसे; अपने कार्यस्थल को व्यवस्थित करना, ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ्ना, अपने कार्य को आसान बनाने के तरीके ढूँढना, जरूरतमंदों की मदद करना, टेक्नोलोजी का उपयोग सीखना आदि। खाली समय मे अनावश्यक किसी की बुराई करना, बहस करना आदि नकारात्मकता प्रदर्शित करती हैं, जो सभी के लिए नुकसानदायक है। सकारात्मक व्यक्तियों की ही संगत करनी चाहिए।
  • अपने व देश के भविष्य की खातिर वोट देते समय धर्म, जाति या प्रलोभन के बजाय योग्यता व क्षमता के आधार पर आंकलन करना चाहिए।

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